Saturday, 4 August 2018

आयुर्वेद में पंचकर्म का महत्व

आयुर्वेद भारतीय जीवन शैली के गर्भ से उत्पन्न स्वस्थ जीवन शैली की वैज्ञानिक विचारधारा है। हितायु एवं सुखायु का विचार कर स्वास्थ्य हेतु अहितकर का निर्णय आयुर्वेद सिद्धांत में प्रतिपादित किया गया है। शरीर, इन्द्रिय, मन एवं आत्मा का समत्व योग आयु कहलाती है। स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य का रक्षण आयुर्वेद का मुख्य ध्येय है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु स्वस्थ होने की परिभाषा जानना आवश्यक है। दोषों का स्व-प्रकृतिस्थ रहना, ग्रहण किए हुए अन्न का समयानुसार पचन, शारीरिक चयापचय कारकों (रस, रक्त, माँस इत्यादि) का समभाव तथा शारीरिक मलों (मूत्र, स्वेद आदि) का समयानुसार निस्सरण शारीरिक स्वास्थ्य के लक्षण हैं। इन लक्षणों के साथ आत्म संतुष्टि, इन्द्रिय सन्तोष तथा केंद्रित मन 'स्वास्थ्य' की समग्र परिभाषा है। 

स्वास्थ्य रक्षण हेतु आयुर्वेद में दिनचर्या, रात्रिचर्या एवं ऋतु अनुसार आहार तथा विहार का निर्देश है। सामाजिक स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयुक्त सदवृत्त का भी उल्लेख किया गया है। ऋतुओं के अनुसार शारीरिक दोषों (वात, पित्त, कफ) की अभिवृद्धि होती है। वृद्धि की प्रथमावस्था में दोषों का निर्हरण कर देने से भावी रोग की उत्पत्ति रोकी जा सकती है। स्वस्थ जीवन शैली का यही आयुर्वेदिक सिद्धांत है। ऋतु अनुसार बढ़े हुए दोषों को शरीर से निकालने के उपक्रमों को पंचकर्म कहा जाता है। 

पंच अर्थात् पाँच; कर्म - चिकित्सा। अभिवृद्ध दोषों को शरीर से निकालने हेतु जिन पाँच चिकित्साओं वमन, विरेचन, बस्ति, नस्य एवं रक्तमोक्षण (?) का उल्लेख है, सम्मिलित प्रकारांतर में इन्हें पंचकर्म कहा जाता है। यद्यपि आचार्य चरक एवं सुश्रुताचार्य द्वारा उद्धृत पाँचवें कर्म में थोड़ा अन्तर है परन्तु अधिकतर यही पंचकर्म मान्य हैं। 

सामान्यत: लोगों में पंचकर्म के प्रति विषम अवधारणाएँ हैं। पंचकर्म उपचार वस्तुत: उपरिलिखित पाँच चिकित्साओं तक ही सीमित हैं। इसके अतिरिक्त अनेक चिकित्साएँ, जिनका पंचकर्म के रूप में प्रचार किया जाता है, उपकर्मों के अंतर्गत निर्देशित हैं। स्वास्थ्य इच्छुकों में ऋतु शोधन के अंतर्गत, निर्देशित ऋतु में दोषानुसार केवल एक कर्म का ही विधान किया गया है। यथा वसंत ऋतु में वमन, वर्षा ऋतु में बस्ति तथा शरद ऋतु में विरेचन/ रक्तमोक्षण का उल्लेख है। नस्य का प्रावधान शिरोगत दोषों के शोधन हेतु किया गया है। और भी, ऋतु अनुसार शोधन के लिए दोष बल के साथ-साथ साधक के शारीरिक एवं मानसिक बल तथा प्रकृति का अवलोकन भी अवश्यंभावि होता है। 

पंचकर्म आग्रह की विषयवस्तु नहीं, चिकित्सीय प्रयोग है। चिकित्सक के परामर्श एवं निर्णय अनुसार पंचकर्म का विधान ही स्वास्थ्य के लिए हितकर हो सकता है, अन्यथा नहीं।  

आयुर्वेद में केवल पंचकर्म ही चिकित्सा का साधन नहीं हैं। अनेक प्रकार के उपकर्मों का प्रावधान चिकित्सा हेतु किया गया है। दिनचर्या, रात्रिचर्या एवं ऋतुचर्या के विधान अनुसार जीवनशैली में बदलाव करके भी रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है। 

आवश्यकता से थोड़ा कम परन्तु संतुलित आहार सरलतम चिकित्सीय प्रयोग है स्वस्थ रहने हेतु।      

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Friday, 3 August 2018

कायाकल्प - जीवन जीने की कला सिखाने का केंद्र



कायाकल्प-हिमालय के प्रांगण में बसा जीवन जीने की कला सिखाने का केंद्र | काया अर्थात् शरीर - जो सतत शीर्यमाण है | कल्प का वास्तविक अर्थ होता है बदलाव | 


जीवन शैली के निरंतर गिरते स्तर एवं खानपान की विसंगतियों के कारण शीर्यमाण   शरीर में क्षय-जन्य प्रभाव अपेक्षाकृत शीघ्र गति से होते हैं | परिणामवश अनेक रोगों का उद्भव होता है | जीवन शैली एवं आहार व्यवस्था को ठीक कर तथा योग द्वारा इस शारीरिक अपक्षय को कम करके आयु-जन्य प्रभाव को कम करना ही कल्प कहलाता है | सही मायनों में स्वस्थ जीवन शैली के सहयोग से रोग प्रतिरोध शक्ति को बढ़ा कर जहाँ तक संभव हो बीमारियों को शरीर से दूर रखना कायाकल्प का उद्देश्य है | 

शरीर वस्तुत: एक यंत्र है |  मानव शरीर की संरचना यांत्रिकी का उत्कृष्ट उदाहरण है | दैनिक प्रयोग से शरीर में अनेक प्रकार के अपक्षय होते हैं | इनकी क्षतिपूर्ति शरीर स्वयं करता है | इस कार्य के लिए एक स्वतंत्र प्रणाली का प्रावधान है शरीर में | आपातकाल अथवा रोगावस्था को जांचने का कार्य मस्तिष्क करता है | ऐसी परिस्थिति में रोग प्रतिरोधक तंत्र को निर्देशित कर यथासंभव रोकथाम की व्यवस्था की जाती है | रोगप्रतिरोध की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि अन्य शारीरिक गतिविधियों पर रोगी का कितना नियंत्रण है | क्यूंकि दैनंदिन अपक्षय की पूर्ती भी इसी तंत्र को करनी होती है | इसीलिए रोगी के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए शारीरिक विश्राम महत्वपूर्ण होता है | रोग की अवस्था में शारीरिक अथवा मानसिक श्रम रोगप्रतिरोधक क्षमता के लिए घातक होता है | रोग को उत्तरोत्तर बल मिलता है | शारीरिक बल क्षीण होता है | उपचार की ऐसी व्यवस्था - कायाकल्प, जहाँ रोग के उपचार के साथ-साथ शारीरिक विश्राम तथा मानसिक शांति का भी प्रावधान है | 

प्राकृतिक उपचार, पंचकर्म, भौतिक चिकिसा एवं योग का अनूठा संगम - कायाकल्प | प्रकृति के आँचल में, पालमपुर नगर से 3 किलोमीटर दूर, कृषि विश्वविद्यालय के सामने विवेकानंद परिसर में 9 एकड़ विस्तार में अंतर्राष्ट्रीय सुविधाओं से सुसज्जित 90 बिस्तर का आयुष हस्पताल | हिमाचल प्रदेश का एकमात्र NABH तथा ISO9001:2015 प्रमाणित संस्थान होने का गौरव प्राप्त है | 

चिकित्सा सुविधा हेतु समर्पित निरामय तथा भोजन के लिए अन्नपूर्णा खंड का प्रावधान है | कायाकल्प में भोजन रोग एवं रोगी की अवस्था अनुरूप चिकित्सीय परामर्श अनुसार ही दिया जाता है | रहने के लिए बसेरा, निलय, निकेत, केतन एवं निकुंज के रूप में पांच विभिन्न श्रेणियों की अनुकूल व्यवस्था है | साधक अपनी क्षमता अनुसार उपलब्ध श्रेणियों में से आवासीय सुविधा का चुनाव कर सकते हैं | 

चिकित्सा खंड - निरामय में चिकित्सीय परामर्श के साथ-साथ प्राकृतिक चिकित्सा, पंचकर्म एवं भौतिक चिकित्सा के लिए समर्पित विभाग हैं | प्राकृतिक चिकित्सा एवं पंचकर्म हेतु महिला तथा पुरुषों के लिए अलग-अलग व्यवस्था है | एक स्वतंत्र व्यायामशाला का भी प्रावधान निरामय में किया गया है | सामूहिक योग हेतु 'योग भवन' निरामय ब्लाक के प्रथम तल पर है | प्रशिक्षित योग शिक्षकों द्वारा प्रातः 6 बजे योग कक्षा का संचालन किया जाता है | 

ध्यान हेतु स्वतंत्र 'ध्यान मंदिर' की विशेष व्यवस्था है कायाकल्प में | सामूहिक निर्देशित ध्यान तथा एकल ध्यान हेतु समर्पित ध्यान कक्षों का निर्माण किया गया है | प्रकृति के सान्निध्य में बैठ कर ध्यान एवं मनन के लिए 'कानन - Oxygen Zone' में चीढ़ के वृक्षों की छाँव में ध्यान मंच बनाए गए हैं | साधक अपनी इच्छा अनुरूप इन सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं | 
ध्यान मंदिर 

कायाकल्प में वातावरण की सात्विकता बनाए रखने का विशेष प्रयास किया गया है | औषधीय वृक्षों का रोपण, नवग्रह वाटिका तथा 'गोकुल-गोशाला' का प्रावधान इसी निमित्त से किया गया है | साधकों को विशुद्ध गोदुग्ध की उपलब्धता हेतु भारतीय गोवंश पर आधारित 'गोकुल' का समावेश कायाकल्प का वैशिष्ट्य है | गीर, साहिवाल एवं थारपारकर कायाकल्प को नव उर्जा प्रदान करती हैं | अपार जन सहयोग द्वारा निर्मित कायाकल्प जन-स्वास्थ्य के लिए समर्पित संस्थान है | वयोवृद्ध व्यक्तियों के लिए ईलाज में 25% छूट का प्रावधान किया गया है | BPL सम्बंधित परिवारों के लिए भी चिकित्सा में 25% छूट प्रदान की जाती है | अन्त्योदय सम्बंधित लोगों के लिए निशुल्क चिकित्सा का प्रावधान ट्रस्ट द्वारा किया गया है | स्थानीय निवासियों के लिए नवम्बर माह से फरवरी माह तक इलाज में विशेष छूट प्रदान की जाती है | 

कायाकल्प में हमारा मुख्य ध्येय प्राकृतिक चिकित्सा, योग, पंचकर्म और ध्यान की पद्धतियों का प्रचार प्रसार कर लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है |

अधिक जानकारी हेतु संपर्क करें: 01894-235666, 235676 | www.kayakalppalampur.in | info@kayakalppalampur.in